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एक जेब होती थी..

हर एक आदमी,
जितना भी कमाता,
कर देता,
एक राजा होता था,
एक ही जेब होती थी..
ज्यादा बड़ी नही होती .
तो जितना भर पाता, भरता..
बाकी वापस लुटाता
सेना की शक्ति बढ़ाने..
कुछ विकास में,
नव निर्माण में,
कुछ संचय जो काम आता आपातकाल में.
और हाँ
एकता जनता की भी
बड़ी खूब होती
राज्य की विपदा में
हर जन आगे आता
निस्वार्थ हाथ बढ़ाता
तब बस एक राजा होता,
एक ही जेब होती थी...


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