मैं अगर मरूँगा तो सच में आत्मा बनुँगा ?
या बस खत्म, खत्म हो जाऊंगा.. ?
वो चमत्कार सारे कहीं मिथ्या बातें तो नहीं
या है हकीकत कुछ आसमान में तारों में भी.. ?
वो है साथ मेरे जान, अकेला लड़ा था
या थी मेरे अतिरिक्त, किसी और की शक्ति भी.. ?
वो सारी बातें , सारी किताबें, कहीं कहानियां तो नही ?
या कर सकता है कोई लेख़क मात्र खिलवाड़ भी..?
सच बता रहे अलग अलग समुदाय से आये ज्ञानी है
या हो सकता है हो सारा ज्ञान केवल भ्रम भी.. ?
ये लोग सारे कहाँ से आये हैं ?
अपना सच साबित करने क्यों इतना चिल्लाते हैं ?
मेरी अल्पायु बुद्धि ये सब समझ नही पा रही ?
या हो सकता है ऐसा इन सबका कोई जवाब ही नहीं
मैं अगर मरूँगा तो सच मैं आत्मा बनुँगा ?
या बस खत्म, खत्म हो जाऊंगा.. ?
या बस खत्म, खत्म हो जाऊंगा.. ?
वो चमत्कार सारे कहीं मिथ्या बातें तो नहीं
या है हकीकत कुछ आसमान में तारों में भी.. ?
वो है साथ मेरे जान, अकेला लड़ा था
या थी मेरे अतिरिक्त, किसी और की शक्ति भी.. ?
वो सारी बातें , सारी किताबें, कहीं कहानियां तो नही ?
या कर सकता है कोई लेख़क मात्र खिलवाड़ भी..?
सच बता रहे अलग अलग समुदाय से आये ज्ञानी है
या हो सकता है हो सारा ज्ञान केवल भ्रम भी.. ?
ये लोग सारे कहाँ से आये हैं ?
अपना सच साबित करने क्यों इतना चिल्लाते हैं ?
मेरी अल्पायु बुद्धि ये सब समझ नही पा रही ?
या हो सकता है ऐसा इन सबका कोई जवाब ही नहीं
मैं अगर मरूँगा तो सच मैं आत्मा बनुँगा ?
या बस खत्म, खत्म हो जाऊंगा.. ?
12 Comments
good going bhai :)
ReplyDeleteaccha likhta hai
Thank u di
DeleteVery Nice
ReplyDeleteKeep it up 👍
Thank u
DeleteDabangg poetry
ReplyDeleteThank u 😊
DeleteWaa bhanu waa
ReplyDeleteWaa bhanu waa
ReplyDeleteThank u :)
ReplyDeleteYour poem itself is immortal..
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता,कुछ तलाश करती सी मन:स्थिति का
ReplyDeleteसुंदर चित्रण!
thank you sir :)
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