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मैं अगर मरूँगा...

मैं अगर मरूँगा तो सच में आत्मा बनुँगा ?
या बस खत्म,  खत्म हो जाऊंगा.. ?

वो चमत्कार सारे कहीं मिथ्या बातें तो नहीं
या है हकीकत कुछ आसमान में तारों में भी.. ?

वो है साथ मेरे जान, अकेला लड़ा था
या थी मेरे अतिरिक्त, किसी और की शक्ति भी.. ?

वो सारी बातें , सारी किताबें, कहीं कहानियां तो नही ?
या कर सकता है कोई लेख़क मात्र खिलवाड़ भी..?

सच बता रहे अलग अलग समुदाय से आये ज्ञानी है
या हो सकता है हो सारा ज्ञान  केवल भ्रम भी.. ?

ये लोग सारे कहाँ से आये हैं ?
अपना सच साबित करने क्यों इतना चिल्लाते हैं ?

मेरी अल्पायु बुद्धि ये सब समझ नही पा रही ?
या हो सकता है  ऐसा इन सबका कोई जवाब ही नहीं

मैं अगर मरूँगा तो सच मैं आत्मा बनुँगा ?
या बस खत्म, खत्म हो जाऊंगा.. ?

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