ads

परन्तु ?


कल ही तो माफ किया था,,
आज एक और  गलती !
मेरा दिल बड़ा है ,
तुम ये कितनी बार बोलोगे,
कितनी बार कहोगे
ये अंतिम बार है,,
कितनी बार कहोगे
ये गलती पुरानी वाली नहीं है,
क्यों अनजान बनते हो,
क्यो मेरे समर्पण झकझोड़ते हो,,
मेरे मुँह से निकली बातों को
तुम जाने कितने दिनों तक दोहराते हो,,
कितने दिनों तक
तुम्हें इस दिल का ख्याल तक नहीं आता,
परन्तु ! इस बार भी
क्या तुम्हें बस इसिलए माफ कर दूं
क्योंकि यही गलती मैंने भी एक बार की थी !

Post a Comment

1 Comments

  1. Bhai kuch smj nah aaya.. ye line teri lyf belong krti dikh rhi

    ReplyDelete