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दिल अगर ऐसा होता

                                     
काश मेरा दिल गोल होता, कोई बात होती तो वो ठहर नही पाती घूमती रहती, कोई बात होती तो रुकती नहीं इधर से उधर चलती जाती। किसी बात को खड़े रहने के लिए सहारा न मिलता, किसी बात को गहरा जाने के लिए आसानी से तल न मिलता क्योंकि तब मेरा दिल गोल होता  ।

कोने में लगे दाग को मिटाने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते है , फिर भी मुश्किल से मिटने वाले और न मिटने वाले दाग छोड़ने वाले कचरे, लोग अक्सर कोनों में ही डालते है ।

मेरा दिल गोल नहीं है। कई कोनें हैं इसमें, जहां कई बातें रह जाती है दाग सी और कई  बेदाग से कोने जो अब कम ही बचे हैं पर संख्या में कम होने के कारण बेढंग से लगते हैं । इन कोनों से निराश मैं "काश" ही कहूँगा,
यही कहूँगा की काश मेरा दिल गोल होता ।

#निर्झर

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