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स्वयं

 

  •          ख़ामोशी ही मेरी , फिजा में बहार ले आई
             जो बोला होता अगर , अँधेरा शर्मा जाता


  •          कभी किसी और की हिम्मत बनती है
             कभी मेरी ही परवाह करती है,,
             मेरी हँसी,, मुझसे थोड़ा ज्यादा समझती है।

  •         दर’असल दर’बदर भटकता हूँ सारे सवाल लिए
            सारे ख्याल टटोलता हूँ रूह से मिलाप के लिए।


  •         इन हरकतों की हसरतों से दोस्ती हो जाए,
            थोड़ा मैं बन जाऊँ, थोड़ी मेरी बात बन जाए..

  •        इतना ही रह जाऊंगा झूठी तारीफों से में 
            कडवी चाय पिला दो सेहत सुधारनी है 

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