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ख़ामोशी ही मेरी , फिजा में बहार ले आई
जो बोला होता अगर , अँधेरा शर्मा जाता
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कभी किसी और की हिम्मत बनती है
कभी मेरी ही परवाह करती है,,
मेरी हँसी,, मुझसे थोड़ा ज्यादा समझती है।
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दर’असल दर’बदर भटकता हूँ सारे सवाल लिए
सारे ख्याल टटोलता हूँ रूह से मिलाप के लिए।
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इन हरकतों की हसरतों से दोस्ती हो जाए,
थोड़ा मैं बन जाऊँ, थोड़ी मेरी बात बन जाए..
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इतना ही रह जाऊंगा झूठी तारीफों से में
कडवी चाय पिला दो सेहत सुधारनी है
ख़ामोशी ही मेरी , फिजा में बहार ले आई
जो बोला होता अगर , अँधेरा शर्मा जाता
कभी किसी और की हिम्मत बनती है
कभी मेरी ही परवाह करती है,,
मेरी हँसी,, मुझसे थोड़ा ज्यादा समझती है।
दर’असल दर’बदर भटकता हूँ सारे सवाल लिए
सारे ख्याल टटोलता हूँ रूह से मिलाप के लिए।
इन हरकतों की हसरतों से दोस्ती हो जाए,
थोड़ा मैं बन जाऊँ, थोड़ी मेरी बात बन जाए..
इतना ही रह जाऊंगा झूठी तारीफों से में
कडवी चाय पिला दो सेहत सुधारनी है
2 Comments
वाह वाह 👌👌
ReplyDeletethank you
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