सोचूंगी मैं
सुनो , पहाड़ सेक दो थोड़े ,
और एक अलग बर्तन में
नदी का छमका लगा देना
फिर उसमे वो पहाड़ मिलाना ,
और खुशबू के लिए
धीमी मगर चलती रहे ऐसी हवा डाल देना ,
मसाले में हरे भरे पेड़ और गुलाब के फूल
ये सब हो जाए तो ऊपर से
कुछ नीले, कुछ काले बादल बस ,
तब बुलाना, सोचूंगी मैं ।
#निर्झर
1 Comments
मैं सर्दियाँ तल कर लाती हूँ। उम्दा❤
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