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दिल और दिमाग दोस्त हो गए


मेरी शब्दावली में अनेक शब्दों के अर्थ किताबी रहे हैं ,
कुछ के अर्थ स्वार्थी रहे है , कुछ के अनुपयोगी और कुछ में तो शब्दावली ही नासमझ रही...

पर एक शब्द है दुर्लभ इनका अर्थ पहले "दुर्लभ" ही हुआ करता था  फिर प्यार हो गया ,
प्यार से माँ-बहन हुआ ,
माँ-बहन से कंधा हुआ ,
कंधा  हो गया दिल  ,
दिल बना मेरी धड़कन ,
धड़कन से धड़का दिमाग ,
दिमाग शब्द में तब्दील हुआ ,
शब्द कहलाये गाली कोई
उसी गाली में निकल गए माँ बहन,,,
शब्दों का अनर्थ हुआ,
अनर्थ से हक्के बक्के हुए,
हक्के बक्के हुए दुर्लभ
थक हार कर  साँस फुलाते
बेचारे श्री दुर्लभ फिर दुर्लभ हुए
और लम्बा विश्राम रहा
कुछ आयु समय पश्चात
पुनः जाकर बदला मतलब दुर्लभ का
किया आरंभ उसी प्यार  से
पर इस बार प्यार से मेहबूब हुए
मेहबूब बने दिल मेरे  ,
दिल बने मालिक शरीर के ,
दिमाग का दुश्मन धोखा है, मालिक को पता चला
मालिक को जो पता चला,
दुश्मन का दुश्मन दोस्त हुआ
मालिक से धोखा हुआ ,,
बहुत आहिस्ता चलने लगा जमाना तब
दिल माँगता रहा मन ही मन दिमाग से एक मुलाकात बस
एक रोज़ कोई पुराना मतलब ले
दिमाग के घर जाने को संभला
जाते जाते उस टूटे मकान से
मतलब कही ढह गया
सब ढहता रहा वक़्त के साथ
दिमाग हँसता हर ढहते पत्थर की आहट पे
सब ढह गया कुछ न रह गया
जब काफी अंतराल हुआ..
तो हुआ दिमाग दिल से मिलने को तैयार
आया पर ठहर नहीं पाया टूटी जगह से ये भी गिरा
और वहाँ खड्डे में जाकर चमकने लगा
बोला दिल से,
अच्छा किया जो मुझसे दुश्मनी ली
हाँ टूटे तुम तो क्या हुआ
नींव भी पुरानी थी और थोड़ी छोटी भी तो थी,,
अब और खुदे हो तुम तो मैं नींव बना ही देता हूँ ,
जुड़ जाना तुम मैं फिर से नींव तक ईंट लगा ही देता हूँ
नींव की ईंटो में प्यार होगा वो तुम्हारे खुद के लिए होगा,,
इस पुनः निर्मित दिल की मंजिले बहुत लम्बी रखना और इमारत बड़ी रखना,
गिरना मत इस बार क्योंकि अब हम दोस्त है, तुम्हारे गिरने से इस बार मुझे भी कष्ट होगा ,
नज़ारे बदले,  नजरिया बदला , और सुधरा बिगड़ा बहुत कुछ,,
इस दिल दिमाग के तालमेल में
सारे शब्दों के मतलब फिर किताबी हो गए
न रहा अर्थों में घमासान फिर
हाँ कभी उपनाम दे देते
पर मतलब  वही किताबी रहते
मतलब अब नहीं बहते भावों में..
कभी बुद्धि चालक, दिल गाड़ी बने
कभी दिल चालक, बुद्धि गाड़ी बने
पर चाहत यही रही तालमेल बना रहे
बस गाड़ी चलती रहे..

#निर्झर




  

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3 Comments

  1. Boht mast...bar bar pdhne kaa man krta hai ise pdh kar.......aashaa krti hu ki Tum ese hi or isse behtreen likhte rahoge ....or hme pdhne ko milta rahega......god bless you

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