अशांत जिज्ञासा ,
भटकते हुए थककर शांत होने लगे ,
मृदु वाक कौशल ,
होठों के सूखेपन से प्रभावित हो,
विवेक ,
मंद मंद अग्नि से आकर्षित हो,
तब तुम अपनी विवशता को
संतोष न कह देना
बंधु , थोड़ा ठहर लेना ,
ठहरा हुआ वक्त
नहीं होता हताश होने के लिए ,
ठहरा हुआ वक्त
होता है, प्रबल हो उठने के लिए ,
ठहरो तुम
अपने विवेक को मृदुता से सींचने के लिए ,
ठहरो तुम
अपनी भावुकता को बुद्धि से संजोने के लिए ,
ध्यान रहे , जब भी उठो
मंजिल पाने की शक्ति न हो , न सही ,
परन्तु पहले से अधिक चलना
यह निश्चित करना ।
8 Comments
विवेक❤
ReplyDelete:)
ReplyDeleteAtisundar !!
ReplyDeleteThank you di :)
DeleteShaandaaar❤️
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteShandar bhai
ReplyDeletethank you
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